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मोहिनी एकादशी महात्मय

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युधिष्ठिर ने पूछा :  जनार्दन ! वैशाख मास के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? उसका क्या फल होता है? उसके लिए कौन सी विधि है? भगवान श्रीकृष्ण बोले :  धर्मराज ! पूर्वकाल में परम बुद्धिमान श्रीरामचन्द्रजी ने महर्षि वशिष्ठजी से यही बात पूछी थी, जिसे आज तुम मुझसे पूछ रहे हो । श्रीराम ने कहा :  भगवन् ! जो समस्त पापों का क्षय तथा सब प्रकार के दु:खों का निवारण करनेवाला, व्रतों में उत्तम व्रत हो, उसे मैं सुनना चाहता हूँ । वशिष्ठजी बोले :  श्रीराम ! तुमने बहुत उत्तम बात पूछी है । मनुष्य तुम्हारा नाम लेने से ही सब पापों से शुद्ध हो जाता है । तथापि लोगों के हित की इच्छा से मैं पवित्रों में पवित्र उत्तम व्रत का वर्णन करुँगा । वैशाख मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘मोहिनी’ है । वह सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है । उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं । सरस्वती नदी के रमणीय तट पर भद्रावती नाम की सुन्दर नगरी है । वहाँ धृतिमान नामक राजा, जो चन्द्रवंश में उत्पन्न और सत्यप्रतिज्ञ थे, राज्य करते थे । उसी नगर में एक वैश्य रहता था, जो धन धान्य से
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View this post on Instagram A post shared by Hari Om Singh Rawat (@hari_om19) छत्रपति शिवाजी जयंती छत्रपति शिवाजी की महानता - पूज्य संत श्री आशारामजी बापू शास्त्र में कहा गया है ब्रह्मचर्यं परं बलम् । ‘ब्रह्मचर्य परम बल है ।’ जिसके जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं होता उसकी आयु, तेज, बल, वीर्य, बुद्धि, लक्ष्मी, कीर्ति, यश, पुण्य और प्रीति - ये सब नष्ट हो जाते हैं । उसके यौवन की सुरक्षा नहीं होती । दुनिया में जितने भी महान् व्यक्ति हो गये हैं उनके मूल में ब्रह्मचर्य की ही महिमा है । पूरी मुगल सल्तनत जिनके नाम से काँपती थी, ऐसे वीर छत्रपति शिवाजी की वीरता का कारण भी उनका संयम ही था। एक बार मुगल सरदार बहलोल खाँ एवं शिवाजी की सेनाओं में युद्ध चल रहा था । शिवाजी युद्ध के विचारों में ही खोये हुए थे कि सेनापति भामलेकर तेजी से घोड़े को दौड़ाते हुए शिवाजी के पास आये । भामलेकर को देखकर ही शिवाजी समझ गये कि ये विजयी होकर आये हैं किंतु उनके पीछे दो सैनिक जो डोली लेकर आ रहे थे, उसके बारे में उनको कुछ समझ में नहीं आया । वे दौड़कर नीचे आये और भामलेकर को गले लगा लिया ।

Celebrated Parents Worship Day on 14th February

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Celebrated true love and true valentine in its purest form. This festival draws its inspiration from the poojan of Lord Shiva and Maa Parvati performed by little Ganpati.  Initiated by Sant Shri Asharamji Bapu on 14th February as Parents Worship Day or मातृ पितृ पूजन दिवस मातृदेवो भव पितृदेवो भव Salutation to the parents, the Guru and the Lord, Numerous favours have they done to us!! visit mppd.in for more info 

षटतिला एकादशी

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  महात्म्य युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा: भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये । श्रीभगवान बोले: नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी ‘षटतिला’ के नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है । मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो । दाल्भ्य ने पूछा: ब्रह्मन्! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं । उन्हें नरक में न जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है? बताने की कृपा करें । पुलस्त्यजी बोले: महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे । देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे । उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये । फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें । भली भाँति स्नान करके पवित्र हो शुद

पुत्रदा एकादशी

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महात्म्य युधिष्ठिर बोले: श्रीकृष्ण ! कृपा करके पौष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का माहात्म्य बतलाइये । उसका नाम क्या है? उसे करने की विधि क्या है ? उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है ? भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: राजन्! पौष मास के शुक्लपक्ष की जो एकादशी है, उसका नाम ‘पुत्रदा’ है । ‘पुत्रदा एकादशी’ को नाम-मंत्रों का उच्चारण करके फलों के द्वारा श्रीहरि का पूजन करे । नारियल के फल, सुपारी, बिजौरा नींबू, जमीरा नींबू, अनार, सुन्दर आँवला, लौंग, बेर तथा विशेषत: आम के फलों से देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए । इसी प्रकार धूप दीप से भी भगवान की अर्चना करे । ‘पुत्रदा एकादशी’ को विशेष रुप से दीप दान करने का विधान है । रात को वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करना चाहिए । जागरण करनेवाले को जिस फल की प्राप्ति होति है, वह हजारों वर्ष तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता । यह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है । चराचर जगतसहित समस्त त्रिलोकी में इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है । समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के अधिदेवता हैं । पूर्वकाल की बात है, भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य

सफला एकादशी

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महात्म्य   युधिष्ठिर ने पूछा :  स्वामिन् ! पौष मास के कृष्णपक्ष (गुज., महा. के लिए मार्गशीर्ष) में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? उसकी क्या विधि है तथा उसमें किस देवता की पूजा की जाती है ? यह बताइये । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं :  राजेन्द्र ! बड़ी बड़ी दक्षिणावाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है । पौष मास के कृष्णपक्ष में ‘सफला’ नाम की एकादशी होती है । उस दिन विधिपूर्वक भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए । जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़ तथा देवताओं में श्रीविष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी तिथि श्रेष्ठ है । राजन् ! ‘सफला एकादशी’ को नाम मंत्रों का उच्चारण करके नारियल के फल, सुपारी, बिजौरा तथा जमीरा नींबू, अनार, सुन्दर आँवला, लौंग, बेर तथा विशेषत: आम के फलों और धूप दीप से श्रीहरि का पूजन करे । ‘सफला एकादशी’ को विशेष रुप से दीप दान करने का विधान है । रात को वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करना चाहिए । जागरण करनेवाले को जिस फल की प्राप्ति होती है, वह हजारों वर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता । नृपश्रेष्ठ ! अब ‘सफल

Horrible report about Christmas and new year

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India has such a divine and great culture that one who follows it can be happy without anything, even in adverse circumstances, on the contrary, despite having material abroad, the people there are so sad and worried that there You people will be stunned by seeing the figures !! Yet a large section of India began observing them, celebrating the western new year and forgetting their Hindu culture. According to a survey during Christian new year, alcohol consumption is increased by 3 times  ASSOCHAM's survey on alcohol consumption on Christmas and Christian New Year has revealed that teenagers between 14 and 19 years of age also consume alcohol and drugs heavily on these occasions and that is why Jiduring this time the consumption of alcohol increases by 3 times. TAP HERE TO VIEW THE COMPLETE REPORT Consumption of other alcoholic beverages also increases in these days. Apart from the elders, younger people also consume them in large numbers. This not only causes physical