View this post on Instagram A post shared by Hari Om Singh Rawat (@hari_om19) छत्रपति शिवाजी जयंती छत्रपति शिवाजी की महानता - पूज्य संत श्री आशारामजी बापू शास्त्र में कहा गया है ब्रह्मचर्यं परं बलम् । ‘ब्रह्मचर्य परम बल है ।’ जिसके जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन नहीं होता उसकी आयु, तेज, बल, वीर्य, बुद्धि, लक्ष्मी, कीर्ति, यश, पुण्य और प्रीति - ये सब नष्ट हो जाते हैं । उसके यौवन की सुरक्षा नहीं होती । दुनिया में जितने भी महान् व्यक्ति हो गये हैं उनके मूल में ब्रह्मचर्य की ही महिमा है । पूरी मुगल सल्तनत जिनके नाम से काँपती थी, ऐसे वीर छत्रपति शिवाजी की वीरता का कारण भी उनका संयम ही था। एक बार मुगल सरदार बहलोल खाँ एवं शिवाजी की सेनाओं में युद्ध चल रहा था । शिवाजी युद्ध के विचारों में ही खोये हुए थे कि सेनापति भामलेकर तेजी से घोड़े को दौड़ाते हुए शिवाजी के पास आये । भामलेकर को देखकर ही शिवाजी समझ गये कि ये विजयी होकर आये हैं किंतु उनके पीछे दो सैनिक जो डोली लेकर आ रहे थे, उसके बारे में उनको कुछ समझ में नहीं आया । वे दौड़कर नीचे आये और भामलेकर को गले लगा लिया । ...
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Showing posts from February, 2021
Celebrated Parents Worship Day on 14th February
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Celebrated true love and true valentine in its purest form. This festival draws its inspiration from the poojan of Lord Shiva and Maa Parvati performed by little Ganpati. Initiated by Sant Shri Asharamji Bapu on 14th February as Parents Worship Day or मातृ पितृ पूजन दिवस मातृदेवो भव पितृदेवो भव Salutation to the parents, the Guru and the Lord, Numerous favours have they done to us!! visit mppd.in for more info
षटतिला एकादशी
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महात्म्य युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा: भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये । श्रीभगवान बोले: नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी ‘षटतिला’ के नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है । मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो । दाल्भ्य ने पूछा: ब्रह्मन्! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं । उन्हें नरक में न जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है? बताने की कृपा करें । पुलस्त्यजी बोले: महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे । देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे । उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये । फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें । भली भाँति स्नान करके पवित्र हो...